महात्मा गांधी ने दलितों को हरिजन क्यों कहा?
उसी कारण से जिससे मोदीजी ने 'विकलांगों' को 'दिव्यांग' कहा. इन सब नामकरणों से भेदभाव कम नहीं होता है बल्कि और भी उभर कर सामने आता है.
एक और कारण से भी गाँधी ने दलितों को हरिजन कहा था, और वह यह कि अम्बेडकर दलितों के मन में ईश्वर के प्रति अविश्वास और हिन्दू धर्म के प्रति घृणा का प्रसार सफलतापूर्वक कर रहे थे और वह उचित भी था. गाँधी पक्के सनातनी वैष्णव थे और उनको अपने धर्म में कोई कमी नहीं दिखती थी. उनका मानना था कि जो भी अन्याय आदि हैं उनका कारण हिन्दू धर्म नहीं बल्कि समाज का शिथिल धार्मिक व्यवहार है. वह इस पक्ष में थे कि दलितों की स्थिति बेहतर हो और उनको अधिकार मिलें, पर दलित धर्म परिवर्तन करें ऐसा वह नहीं चाहते थे. दलितों को 'हरि जन' कहकर वह उनको 'हरि' से जोड़ना चाहते थे जिससे सवर्ण उनको भगवान का करीबी मानकर स्वीकारें और दलित खुद को 'हरि' के करीब जानकर हिन्दू धर्म में जुड़े रहें.
उनके प्रयास का दूसरा भाग सफल हुआ किन्तु पहला भाग विफल रहा. दलितों का एक बड़ा हिस्सा हिन्दू धर्म से जुड़ा रहा किन्तु सवर्णों ने उनको स्वीकार नहीं किया.
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